प्राण होई पुस्तक | प्रेममयी पुस्तक |
पुस्तकात डुंबलो | मनोभावे ||
पुस्तकचि बाप | पुस्तक होई माय |
करी ज्ञानपान | वात्सल्याने ||
तेच खरे पुस्तक | घडवी जे मस्तक |
मानवाशी मानव | जोडीते जे ||
तोडील मानव | मनी भरूनिया द्वेष |
नसे ते पुस्तक | विनू म्हणे ||
नको व्हायाळ वाचन | भारंभार उगा |
पुरे एक पान | परी मनोभावे ||
पुस्तक वाचन | नंतर चिंतन |
थोडेसे मनन | काढून टिपणे ||
पुस्तके चिकित्सा | हरेक शब्दाचा तो तर्क |
नको आंधळा विश्वास | ग्रंथप्रामाण्ये ||
पुस्तक पुस्तक | करी विचारप्रवण |
कृतीचीही जोड | तया लाभो ||
मैत्रचि पुस्तक | कधी होऊनिया 'सखी' |
कवेत घेई पुस्तक | आशिक 'विनू' म्हणे ||
ऐसे हे पुस्तक | ज्ञानाचे भांडार |
द्या थोडासा आराम | मोबाईलास ||
ऐसे झाले सारे | पुस्तकाचे सार |
तयास आधार | लाभों विवेकाचा ||
- विनायक होगाडे
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